औद्योगीकरण की गलत नीतियों से परंपरागत खेती एवं पशुपालन की बलि चढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप अत्यंत कम खर्च में आत्मनिर्भर होने का भारत का सपना भी ध्वस्त हो गया। औद्योगीकरण का प्रभाव खेती पर भी पड़ा। रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों के साथ सिंचाई के आधुनिक तरीकों ने कृषि का खर्च बढ़ाया, जमीन की उर्वरा-शक्ति नष्ट की, भूजल के स्तर का सत्यानाश किया। जो खेती हमारा पेट भरने, तन ढकने, हमारी बीमारी का उपचार करने और हमारे सिर ढकने का आधार होने के साथ पर्यावरण संतुलन को कायम रखनेवाली थी, वही आज पर्यावरण बिगाडऩे वाली बन चुकी है। खेती महँगी होने के कारण छोटे किसानों के लिए अब खेती करना दूभर हो चुका है। इससे गाँवों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, अपने संसाधनों और ज्ञान के आधार वाला आत्मनिर्भर तंत्र खत्म हो गया।
यह पुस्तक देश की समस्याओं का विवेचन कर स्वदेशी की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। इतना ही नहीं, भारत को बचाने तथा असली भारत बनाने का रास्ता भी सुझाती है।
जो कोई भी अपने आपको, अपने गाँव-समाज और देश को बचाने के लिए काम करना चाहते हैं, कृपया वे इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।
Grameen Swavlamban by Deepak Banka explores rural development and self-reliance. Gain insights into entrepreneurship, sustainable livelihoods, rural empowerment, and community development. Discover innovative approaches to rural economy, upliftment, self-sufficiency, and welfare, contributing to the progress and self-reliance of rural communities.
Grameen Swavlamban by Deepak Banka: In Grameen Swavlamban, Deepak Banka focuses on empowering rural self-sufficiency. The book explores strategies for rural development, emphasizing sustainable practices, entrepreneurship, and community empowerment, ultimately leading to self-reliance and prosperity in rural areas.
Grameen Swavlamban, Deepak Banka, rural development, self-reliance, entrepreneurship, rural empowerment, sustainable livelihoods, rural entrepreneurship, rural innovation, community development, rural economy, rural upliftment, rural self-sufficiency, rural welfare, rural progress