पं. कलराज मिश्र प्रखर विचारक व राष्ट्रवाद में गहरी आस्था रखनेवाले गिने-चुने राजनेताओं में से हैं, जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। पिछले पाँच दशक से भारतीय राजनीति में विद्यमान हैं। राष्ट्रवाद व हिंदुत्व उनकी राजनीतिक आस्था के मूलमंत्र रहे हैं। जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए, परंतु वे राष्ट्रवाद और हिंदुत्व से कभी भी विमुख नहीं हुए। वे हिंदुत्व को व्यापक रूप में, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के रूप में देखते हैं। उनकी दृष्टि में सभी संप्रदायों के लोग भारतीय हैं और उनकी संस्कृति हिंदुत्व है। कलराजजी उ.प्र. भारतीय जनता पार्टी के चार बार अध्यक्ष रहे, राज्यसभा सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। उ.प्र. में लोक निर्माण मंत्री के रूप में उन्होंने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए। स्वभाव से सरल व मृदुभाषी श्री मिश्र देश की आर्थिक, सामाजिक समस्याओं पर सदन में और सदन के बाहर अपनी आवाज उठाते रहे हैं। उनके द्वारा भारतीय न्याय व्यवस्था के संबंध में लिखी पुस्तक ‘ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी’ बहुत लोकप्रिय रही है।