संकलन की आरंभिक रचनाएँ होली, जो धार्मिक त्योहारों में से एक है, की केंद्रीय भावना पर आधारित है, किंतु होली के चिर इतिहास से पाठकगण अवश्य परिचित होंगे, इसी उद्देश्य से हमने होली के मूलेतिहास कथा का चित्रण न करके, उससे संबद्ध मनोरम दृश्यों यथा- वीर की होली, प्राकृतिक होली व कर्तव्यात्मक होली का चित्रांकन किया है जो पाठकों के हृदयों को आनंदित करने की अद्भुत क्षमता से ओत-प्रोत हैं।
संकलन फाग के राग की यवनिका वीर की त्यागमय होली से खुलकर, रनिया के करुणामय जीवन से संवेदना स्थापित कर प्रकृति की अलौकिक होली में अभिरंजित हो जाती है और पुनः नारीत्व की विराटता का अनुभव कराते हुए होली के आनंदकारी दृश्यों में रूपांतरित हो जाती है। रचनाओं की यह सुभगावली सहृदयों के अंतरपटों पर प्रदीप्त होती जाती है।
'फाग के राग' संकलन में फाग से संबंधित रचनाओं के पश्चात् हम छह रचनाकारों की स्वतंत्र रचनाएँ हैं, जो हमारे हृदयोद्गार को प्रदर्शित करती हैं व विभिन्न स्तरों पर पाठक हृदय को स्पर्श करने के लिए आतुर हैं।
आप मनोज केसर डूडी 'मन' वीरों की भूमि राजस्थान के निवासी हैं। आपने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से स्नातक व अजमेर शिक्षण संस्थान से शिक्षा शास्त्र में उपाधि प्राप्त की है।आप पेशे से बैंकर हैं और वर्तमान समय में आपकी कर्मभूमि गुजरात है।आप बाल्यकाल से ही लेखन कार्य में लगे हुए हैं। आप की एक कृति 'इब्तिदा' प्रकाशित हो चुकी है। आप फोटोग्राफी, चित्रकारी भ्रमण, ब्लॉग लिखना जैसी विशिष्ट आदतें अपनी जीवनशैली में समाहित करते हैं, जिससे आप मानव जीवन सहित प्रकृति के विभिन्न पक्षों को और सूक्ष्मता से देख पाते हैं और उन अनुभवों को काव्य स्वरूप प्रदान कर एक नवीन जीवंतता का संचार करते हैं।
आप दीपशिखा गोंड 'शिखा' मूल रूप से मऊ, उत्तर प्रदेश की निवासी हैं और वर्तमान समय में जामनगर, गुजरात में निवास करती हैं। आपने अपनी स्कूली शिक्षा मऊ, कानपुर से पूर्ण की, तत्पश्चात व्यावसायिक शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय से बी.टेक. की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान समय में आप गृहिणी हैं।
लेखन में आपकी रुचि बाल्यकाल से ही थी। आप अपने भावों को शब्द रूप देकर काव्य रचना करते थे, परंतु उचित रूप से साहित्यिक वातावरण के अभाव में तत्कालीन समय में काव्य सृजन के बीज अंकुरित मात्र होकर रह गए और पल्लवित पुष्पित नहीं हो पाए। गत 2 वर्षों से आपके भीतर साहित्य सृजन की भावना जागृत हुई है और आप सतत् रूप से लेखन में सक्रिय हैं। वर्तमान समय में विभिन्न सामाजिक पटलों पर अपनी लेखनी सक्रिय रूप से चला रही हैं।
आप सूरज कोठारी ‘देव’देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के निवासी हैं। आपने भेषज विज्ञान में डिप्लोमा के साथ-साथ, समाजशास्त्र एवं इतिहास में परास्नातक एवं शिक्षा स्नातक की उपाधि भी प्राप्त की है।
आप बाल्यकाल से ही साहित्य सृजन में रुचि रखते हैं। विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर आप गद्य-पद्य प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते थे। जिससे आपके भीतर साहित्य सृजन की भावना और प्रबल होती गयी। सामान्य ग्रामीण पृष्ठभूमि, विविध अकादमिक एवं व्यावसायिक जीवन ने आपको मानव जीवन के विविध पक्षों को पास से देखने के अवसर उपलब्ध कराए हैं जो आपकी रचनाओं में सहज रूप से परिलक्षित होता है।
साहित्य प्रतिभा की धनी सविता झा जी, आप मूलतः बिहार राज्य के दरभंगा जिले के बालबहादुरपुर नामक ग्राम की निवासी हैं। आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा "जवाहर नवोदय विद्यालय" से तथा स्नातक "डॉ० राजेन्द्र प्रसाद सेन्ट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी" से पूर्ण किया। वर्तमान में आप 'एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी' में 'असिस्टेंट टेक्निकल मैनेजर' के पद पर कार्यरत हैं।
आपने अक्टूबर 2019 से साहित्यिक क्षेत्र में प्रवेश किया। गद्य व पद्य दोनों विधाओं पर आपकी लेखनी गतिशील है। आपकी पद्य रचनाएँ अत्यधिक हृदयस्पर्शी हैं। आपने अपनी लेखनी के माध्यम से लगभग सभी महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया है। मानव जीवन व मानव कर्तव्यों से लेकर प्रकृति संबंधी एवं राष्ट्रप्रेम जैसे सुभग विषयों पर आपने सफलतापूर्वक अपने विचारों को उद्धृत किया है, जो प्रशंसनीय व सराहनीय हैं।
काव्य-प्रेमी अनुकल्प तिवारी ‘विक्षिप्त साधक’आप उत्तरप्रदेश राज्य के 'कुशीनगर' जनपद (जो महाबुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली है) के 'छहूँ' नामक ग्राम के निवासी हैं।
वर्तमान में आप 'चिल्ड्रेन पब्लिक इन्टरमीडिएट कॉलेज' में कक्षा 12वीं (विज्ञान वर्ग) में अध्ययनरत हैं। आप प्रारंभ से ही मेधावी छात्र रहे हैं। आपने वर्ष 2019 में हाईस्कूल से अपने जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने माता-पिता व अपने विद्यालय को गौरवान्वित किया।आपका हिंदी साहित्य जगत से गहरा लगाव रहा है। सातवीं कक्षा से ही आपने काव्य सृजन करना आरंभ कर दिया, जिससे नवीं कक्षा से आपकी काव्य रचनाएँ छंद के नियमों से संश्लेषित होती गई एवं सम्प्रति आते-आते छंदबद्ध हो गई। आपको पद्यात्मक शैली प्रिय लगती है। आपकी पद्यात्मक कृतियाँ कल्पनामयी, व्यथा से अभिरंजित एवं किसी अज्ञात के प्रति रहस्यात्मकता से संश्लिष्ट हैं।
संगीता पाटीदार ‘धुन’, भोपाल (म० प्र०) से हैं। इन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय सीहोर और होशंगाबाद से प्राप्त की। उसके पश्चात् उन्होंने M.COM, MSW और MBA की उपाधियाँ प्राप्त की। उनके विनम्र मूल ने उन्हें जीवन के अनुभवों के बारे में बहुत कुछ सिखाया, जो उन्होंने कविता के रूप में व्यक्त करना शुरू किया। कविता के लिए यह जुनून ‘एहसास ... दिल से दिल की बात’ और ‘ढाई आखर... अधूरा होकर भी पूरा’, कविता-संग्रह के रूप में प्रकाशित हुआ। वह ‘42 डेज़... धुँधले ख़्वाब से तुम..भीगी आँख सी मैं’ और ‘अ ज्वेल इन द लोटस... कहानी 42 दिनों की’, प्रकाशित हिंदी उपन्यास की सह-लेखिका भी हैं। उन्होंने कई हिंदी पुस्तकों के संपादन कार्य में विशेष योगदान दिया है।उन्होंने लेखक/लेखिकाओं की लेखन कार्य में सहायता और अपना मुक़ाम हासिल करवाने के लिए, हाल ही में अन्थोलॉजी (हिंदी कविता संग्रह), ‘कुछ बातें- अनकही सी.. अनसुनी सी’, ‘मुक़ाम- तेरे-मेरे ख़्वाबों का’, ‘लम्हे- कुछ ठहरे हुए से’, ‘क़लम-फ़नकार नवोदय के’, ‘अल्फ़ाज़-शब्दों का पिटारा’, ‘दरमियाँ… तेरे-मेरे’, ‘हौसला- कुछ कर गुज़रने का’ और ‘छत्तीसगढ़ी भाषा एवं साहित्य में युगीन चेतना का विकास’, संकलित कर उन्हें प्रकाशित करवाने में सहायता की है।