डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल जन्म : 14 जुलाई, 1944 को संभल (मुरादाबाद) उ.प्र. में। शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिंदी), आगरा विश्वविद्यालय। प्रधान संपादक ‘शोध दिशा’ (त्रैमासिक); सचिव, हिंदी साहित्य निकेतन; पूर्व मंडलाध्यक्ष, रोटरी अंतरराष्ट्रीय मंडल 3100; सदस्य, भारतीय हिंदी परिषद् इलाहाबाद; सदस्य, अखिल भारतीय हिंदी प्रकाशक संघ, दिल्ली। कृतित्व : हिंदी में मौलिक एवं संपादित शताधिक पुस्तकें प्रकाशित। पुरस्कार-सम्मान : उ.प्र. युवा साहित्यकार संघ द्वारा ‘सरस्वतीश्री’; तुलसी पीठ कासगंज द्वारा ‘विद्यावारिधि’; विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ गांधीनगर द्वारा ‘विद्यासागर’; ‘बाबू झोलानाथ’ कृति पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार; श्रीमती रतन शर्मा बाल साहित्य पुरस्कार; ‘मानवाधिकार : दशा और दिशा’ पुस्तक पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली का प्रथम पुरस्कार; ‘राजनीति में गिरगिटवाद’ पर उ.प्र. हिंदी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार, ‘आओ अतीत में चलें’ पर सूर-पुरस्कार एवं ‘साहित्यभूषण’; केंद्रीय हिंदी निदेशालय का ‘शिक्षा पुरस्कार’।
Main Lajpatrai Bol Raha Hoon by Giriraj Sharan Agrawal pays tribute to Lala Lajpat Rai, an influential Indian freedom fighter. Discover his political activism, inspirational speeches, and his role in the Indian independence movement. Understand his contributions to Indian nationalism, patriotic values, and social reform.