ठीक उस वक्त जब एक देश कर रहा है निर्दोष नागरिकों का नरसंहार। जब साबरमती के किनारे पर हुयी है जबरदस्त हिंसा।ठीक उस वक्त जब, गला रेतने, जिन्दा गाड़ने के दर्दनाक वीडियो हर रोज आ रहे हो।जब अपने समय को बर्दाशत करना एक अन्तहीन पीड़ा बन जाये। तब हाँ तब कहना पड़ता है गोडसे: हम आभारी हैं।