हिंदी साहित्य अपनी अनेक विधाओं से समाज को नई दिशा प्रदान कर रहा है। प्रत्येक रचनाकार के भावों का विस्तृत आकाश है, वह अपने चिंतन की उड़ान जिस ओर चाहे भर सकता है, भाव प्रकट कर सकता है। काव्य में मुक्त रचनाएं ऐसी विधा है, जो विशिष्ट निष्कर्ष प्रदान करती है। रचनाकार श्री जगमोहन कुशवाहा की कृति ‘मेरे अल्फाज़ तुम्हारे साथ’ निःसंदेह मर्म को छू जाने वाली भावनाओं का दर्पण है, जो रचनाकार ने अपने इर्द-गिर्द जांचा-भोगा और महसूसा है, उसे लेखनी दी है। अनुभूतियाँ प्रत्येक मानव हृदय को समय-समय पर झकझोरती हैं, किन्तु कोई विरला ही उन अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने में समर्थ होता है। जो अनुभूतियों का प्रगटीकरण सहज भाव में करता है, वही आम आदमी का कवि कहलाता है। श्री जगमोहन कुशवाहा ने अपनी चिंतन दिशाओं से मानवीय परिस्थितियों को जिस प्रकार से अपनी सहज मुक्त रचनाओं में व्यक्त किया है, वह प्रशंसनीय है। प्रस्तुत संग्रह में जहाँ मानवीय सरोकारों को निभाया गया है वहीं आत्मीय रिश्तों की खूबसूरती को भी उत्कृष्टता से प्रस्तुत किया गया है। सभी रचनाएँ मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत हंै। जिससे कवि की उत्कृष्ट लेखनी का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। जो पाठकों को निश्चय ही तृप्त करने में सफल होगी। यह काव्य संग्रह प्रेममयी काव्याकाश में अपना स्थान निश्चित करेगा, ऐसी आशा है। कवि का प्रयास सार्थक सिद्ध होगा। उपलब्धि के रूप में ‘मेरे अल्फाज़ तुम्हारे साथ’ पाठकों के समक्ष जाकर उनके चिन्तनीय भावों की अभिव्यक्ति प्रस्तुत करेगी। यह पुस्तक पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी क्योंकि इसकी हर रचना हृदयस्पर्शी है। इस पुस्तक को साहित्य जगत में यथोचित स्थान मिले। यही कामना है। डाॅ. सुधाकर आशावादी |