‘जीवन एक संघष’ में जीवन के हर पग-पग पर आने वाली कठिनाईयों, विपत्तियों से सदैव साहस के साथ आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती हुई कविताएं सभी जनमानस को समर्पित हैं । आज समाज में भ्रूण हत्या जैसे जघन्य व निंदनीय अपराध बढ़ रहे हैं जो समाज के लिए घातक और चिंताजनक हैं । काव्य संग्रह में महिलाओं व मातृशक्ति को सम्मान व सदैव जीवन में संघर्ष के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हुई अनेक रचनाएं मातृशक्ति सम्मलित हैं, जैसे बालिकाओं, महिलाओं को प्रेरित करती हुई ‘उठो जागो हे मातृशक्ति’, स्वयं की तुम पहचान बनो, रहो न अबला बनकर तुम, स्वयं का तुम अभिमान बनो’ आदि । देशभक्ति, साहस संघर्ष को समर्पित रचनाएं व मानवता को संजोने के लिए प्रेरित करती है