सफ़रनामा पर मुश्तमिल किताबें पढ़ने का शौक़ मुझे बचपन से रहा। अरबी सय्याह इब्न ए बतूता के सफरनामे खूब पढ़ेए नसीम हुजाज़ी का एपाकिस्तान से दयार ए हरम तक पढ़कर रूहानी सुकून मिलता है। केवल एक सफ़रनामा ए असल में स्वर्गीय केवल राम जी आत्म कथा है लेकिन बंटवारे के बाद के सफ़र की दास्तान भी भाव पूर्ण अंदाज़ में बयान की गई है। ज़िन्दगी के उतार चढावए ज़माने के नशीब ओ फ़राज़ए वक़्त की करवटए हालात से मिलते दुःख सुख की ये दास्तान हैए केवल एक सफ़रनामा।