सच तो यह है कि पुरुष प्रधान समाज ने स्त्री को इस रूप में परिभाषित किया कि वह घर का नेतृत्व करे यानी घर चलाए। जब स्त्री घर चला सकती है तो देश क्यों नहीं। इस परंपरा को तोड़ते हुए प्रतिभा ताई का राष्ट्रपति बनना यह साबित करता है कि स्त्रियां नीति निर्णायक मुद्दों पर क्यों नहीं आ सकती हैं। आज जब वह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल बन सकती हैं तो राष्ट्रपति क्यों नहीं। बाल्यकाल से लेकर राष्ट्रपति भवन तक मान्यवर प्रतिभा पाटिल की यात्रा निश्चित रूप से एक प्रेरक प्रसंग है और महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक आशा की किरण... देश के पटल पर यह ऐतिहासिक घटना सचमुच स्वागत योग्य है। सुश्री प्रतिभा पाटिल की इस जीवन यात्रा को पढ़िए इस पुस्तक में।