LEKHAK ANI LEKHANE

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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गेली अनेक वर्षे मराठी साहित्यात

वेळोवेळी ज्या लक्षणीय कलाकृती निर्माण झाल्या,

त्यांसंबंधीचे शान्ताबाईंचे हे लेखन आहे.

या साहित्यकृतींत कविता, कथा, कादंबरी,

ललितलेख, आत्मकथन, समीक्षा, संकलन

असे विविध प्रकार आहेत.

’फकिरा’पासून ’पाचोळा’पर्यंत,

’योगभ्रष्ट’पासून ’आठवणींतल्या कवितां’पर्यंत,

’मृद्गंध’पासून ’बलुतं’पर्यंत आणि

’आदिकाळोख’पासून ’गीतयात्री’पर्यंत

वेगवेगळ्या वैशिष्ट्यपूर्ण पुस्तकांसंबंधी

लेखिका इथे वाचकांशी रसाळ गप्पा मारत आहे.

आपल्या वाङ्मयानंदात त्यांना सहभागी करून घेत आहे.

साहित्याविषयीचे चौफेर कुतूहल,

पूर्वग्रहरहित दृष्टी, निकोप आणि निर्मळ रसिकता

ही शान्ताबाईंची नेहमीची वैशिष्ट्ये इथेही प्रकट झाली आहेत;

त्यामुळे हे लेख वाचताना

एका प्रौढ, परिपक्व, जाणत्या आणि

ताज्या टवटवीत मनाशी संवाद साधण्याचा प्रत्यय

वाचकांना आल्यावाचून राहात नाही.


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