MAI LEKARA

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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 दर्शनी स्वरूपात `मायलेकरं’ हा काव्यात्म संवाद आहे.

शिक्षण संपवून घरी परतलेल्या मुलाला पाहून आनंदलेली आई आपली स्वप्नं खरी होणार या अपेक्षेने मुलापुढे मांडते आणि शहरी संस्कारामुळे नवी नजर घेऊन आलेला मुलगा आपली स्वप्नं भिन्न असल्याचं सांगतो. उभयतांच्या स्वप्नांची परिभाषा बदलली असली तरी दोघांचं भावविश्व एकच आहे. वात्सल्यापोटी मुलाच्या साऱ्या आठवणी आईच्या उरात दाटून येतात. ती त्यांना मुक्तपणे वाट करून देते.शिक्षणामुळे अंतर्मुख झालेल्या मुलाला कुटुंबातील विदारक दैन्याची जाणीव होते. कष्टकरी समाज आणि त्यांच्या जिवावर सुखासीन झालेला प्रस्थापित वर्ग याविषयीचे आकलन मुलाला विमनस्क करते. ही परिस्थिती बदलण्याचा निर्धारही तो व्यक्त करतो. माय-लेकराचा हा संवाद केवळ व्यक्तिगत राहत नाही, तर त्यातून ग्रामीण समाजातील गांजलेल्या वर्गाची प्रातिनिधिक वेदना समोर येते.

Mai lekra’ is a poetry collection by Anand Yadav. Yadav brought literature from village in limelight . Life in the village, poverty , condition of agriculture are the platforms of Yadav Sir’s writing. His poetry also contains this features.

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