मैं नियति के तेज वाहन पर सवार था। सबकुछ मुझसे पीछे छूटता जा रहा था। वृंदावन और मथुरा; राधा और कुब्जा-सबकुछ मार्ग के वृक्ष की तरह छूट गए थे। केवल उनकी स्मृतियाँ मेरे मन से लिपटी रह गई थीं। कभी-कभी वर्तमान की धूल उन्हें ऐसा घेर लेती है कि वे उनसे निकल नहीं पाती थीं। मैं अतीत से कटा हुआ केवल वर्तमान का भोक्ता रह जाता।
माना कि भविष्य कुछ नहीं है; वह वर्तमान की कल्पना है; मेरी अकांक्षाओं का चित्र है—और यह वह है; जिसे मैंने अभी तक पाया नहीं है; इसलिए मैं उसे एक आदर्श मानता हूँ। आदर्श कभी पाया नहीं जाता। जब तक मैँ उसके निकट पहुँचता हूँ; हाथ मारता हूँ तब तक हाथ में आने के पहले ही झटककर और आगे चला जाता है। एक लुभावनी मरीचिका के पीछे दौड़ना भर रह जाता है।
कृष्ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्ण के किसी विशिष्ट आयाम को लिया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्त इस औपन्यासिक श्रृंखला ‘कृष्ण की आत्मकथा’ में कृष्ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास किया गया है। किसी भी भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है।
यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है।
‘कृष्ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’
नारद की भविष्यवाणी
दुरभिसंधि
द्वारका की स्थापना
लाक्षागृह
खांडव दाह
राजसूय यज्ञ
संघर्ष
प्रलय Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV) by Manu Sharma: The fourth volume in the "Krishna Ki Atmakatha" series, this book delves into the fascinating story of Lakshagrah, also known as the "House of Lac." It explores the events surrounding the construction of this deceptive palace.
Key Aspects of the Book "Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV)":
1. Deceptive Palace: The book recounts the tale of Lakshagrah, a palace designed to deceive and harm the Pandavas, adding depth to the epic Mahabharata.
2. Plot and Intrigue: It explores the political and strategic elements behind the creation of Lakshagrah, showcasing the art of intrigue.
3. Myth and Legend: This volume continues to combine myth and legend to narrate the epic journey of Lord Krishna and the characters around him.
Manu Sharma is the author of this volume, dedicated to unraveling the captivating stories from Lord Krishna's life.