राजसूय यज्ञ
मेरी मनुजात की वास्तविकता पर जब चमत्कारों का कुहासा छा जाता है तब लोग मुझमें ईश्वरत्व की तलाश में लग जाता हूँ। शिशुपाल वध के समय भी मेरी मानसिकता कुछ ऐसे ही भ्रम में पड़ गई थी; पर ज उसके रक्त के प्रवाह में मुझे अपना ही रक्त दिखाई पड़ा तब मेरी यह मानसिकता धुल चुकी थी। उसका अहं अदृश्य हो चुका था। मेरा वह साहस छूट चुका था कि मैं यह कहूँ कि मैंने इसे मारा है। अब मैं कहता हूँ कि वह मेरे द्वारा मारा गया है। मारनेवाला तो कोई और था। वस्तुत: उसके कर्मों ने ही उसे मारा। वह अपने शापों से मारा गया।
संसार में सारे शापों से मुक्त होने का कोइ्र-न-कोई प्रायश्चित्त है; पर जब अपने कर्म ही शापित करते हैं तब उसका कोई प्रायश्चित्त नहीं।
आखिर वह मेरा भाई था। मैं उसे शापमुक्त भी नहीं करा पया। मेरा ईश्वरत्व उस समय कितना सारहीन; अस्तित्वविहीन; निरुपाय और असमर्थ लगा!
कृष्ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्ण के किसी विशिष्ट आयाम को लिया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्त इस औपन्यासिक श्रृंखला ‘कृष्ण की आत्मकथा’ में कृष्ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास किया गया है। किसी भी भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है।
यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है।
‘कृष्ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’
नारद की भविष्यवाणी
दुरभिसंधि
द्वारका की स्थापना
लाक्षागृह
खांडव दाह
राजसूय यज्ञ
संघर्ष
प्रलय Rajsooya Yajna (Krishna Ki Atmakatha Vol. VI) by Manu Sharma: The sixth volume in the "Krishna Ki Atmakatha" series, this book explores the significant event of Rajsooya Yajna, a royal consecration ceremony with profound implications in Indian mythology and history.
Key Aspects of the Book "Rajsooya Yajna (Krishna Ki Atmakatha Vol. VI)":
1. Royal Consecration: The book provides a detailed account of the Rajsooya Yajna, highlighting its importance and the roles of key characters.
2. Mythology and Ritual: It delves into the mythological and ritualistic aspects of this ancient ceremony.
3. Krishna's Journey: This volume continues the epic narrative of Lord Krishna's life and his involvement in significant events.
Manu Sharma is the author of this volume, dedicated to unraveling the rich tapestry of Lord Krishna's mythological journey.