Naari Ki Vivashta

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#मोटिवेशनल विचार#। लेखक (आलोक कुमार..) धर्मो से लोग जोड़ दिये ,कर्मो को पीछे छोड़ दिये-2 । बातें करते थे बड़ी -2 । कुछ पल में साथ छोड़ दिये ।। ये दुनिया भूख प्यार जोगी । कह -2 के विश्वास तोड़ दिये ।। ना कोई जीव पृथ्वी पे ना कोई मन में है। देखो अच्छे -2 शमशान में जल के राख हुए ।। जीवन बड़ा एक तन जोगी । कुछ पल का एक खिलौना ।। ये धन्य जीव जो ईश्वर बनाये । जो हर अंगार से बने फौलादी थे ।। जो इच्छा का जीव शोध करे । जग संसार उसे तरासे ।। ये मोह माया की नगरी । जीवन को भय तिराशा ।। जो शब्दों से पग भेस बदल दे । वो पल जीवन का कांटा ।। ममता की भेद विलासी । जीवन जन मन का नाता ।। जो अंगारे से लिपट गया । वो हर इतिहास के पन्ने में छीप

जाता है ।। धर्मो से लोग जोड़ दिये ,कर्मो को पीछे छोड़ दिये -2।

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