PARIGH

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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‘पैसा आला की, माणूस का बदलतो? पैसा आला की, माणसाच्या अंतर्यामी दडलेले गुण-अवगुण बाहेर येतात. पैसा नसताना दडलेले अवगुण; पैसा आला की, बाहेर येतात... पैसा हा एखाद्या रावकाचेसारखा असतो. म्हणूनच कंजूस माणूस श्रीमंत झाला की, लोभी बनतो. अधाशी माणूस जमीनजुमला खरेदी करतो. स्वार्थी माणूस विलासी बनतो. उदार माणूस दानी बनतो.ज्यांना पैशाचा मोह नाही, त्यांना जवळ पैसा असला काय किंवा नसला काय; काहीच फरक पडत नाही.’ पैशामुळे खऱ्याखुऱ्या मानवी संबंधांचं दर्शन घडतं.

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