PRITICHA SHODH

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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खांडेकरांच्या आजही टवटवीत वाटणाऱ्या खास कथा.

 श्रेष्ठ वाङमयाची एक मोठी खूण म्हणजे शोकभावना हा जीवनाचा एक अपरिहार्य भाग आहे, या सत्याची त्याला असलेली जाणीव. मात्र या जाणिवेमुळे ते वाङ्मय दबून जात नाही, गुदमरत नाही. भीतिग्रस्त होऊन डोळे मिटून घेत नाही, जीवनापासून दूर पळून जात नाही. माणसाच्या मनात आणि सामाजिक जीवनात जे जे अमंगल असते त्याच्यावर मात करूपाहणाऱ्या त्याच्या आत्मशक्तीचे चित्र रेखाटण्यात या वाङ्मयाला नेहमीच आनंद होतो. ही शक्ती अनेकदा पराभूत होते, तिला नेहमी नवनव्या जखमा होत असतात. पण एखाद्या उत्कट क्षणी अमंगलाचा पराभव करून ती विजयी होते.

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