''आ ह!'' एक बूढ़े का पैर छिलके पर पड़ा और वह फिसलकर गिर गया।
हरीश ने घूमकर देखा। बूढ़ा सिर पकड़कर छटपटा रहा था। “क्या हुआ, बाबा? उठो! कैसे गिर गए?'' हरीश बूढ़े को सहारा देकर उठाने लगा। उसके सिर से खून बह रहा था। पैर में मोच आ गई थी।<br>तब तक और भी कई लोग वहाँ आ गए। लोगों ने पूछा, “क्या हुआ, बाबा ? कैसे गिर पड़े?
बूढा बड़ी मुश्किल से बोल पाया, “इस केले के छिलके से फिसलकर गिर गया।
इतना कहकर बूढ़ा बेहोश हो गया। सब लोग एक साथ शोर मचाने लगे, “उठाओ-उठाओ ! इस बूढ़े को जल्दी अस्पताल पहुँचाओ! नहीं तो बेचारा मर जाएगा।''
सब लोग मिलकर बूढ़े को अस्पताल ले गए।<br>हरीश दुःखी मन से घर गया। सीधे माँ के पास जाकर बोला, माँ, मुझसे बड़ी भूल हो गई। मैंने केले का छिलका सड़क पर फेंक दिया। छिलके से फिसलकर एक वृद्ध गिर पड़े। उनका सिर फट गया। वह अस्पताल में हैं।