Sant Dnyaneshwar: Jeevan Charitra Aur Samadhi Rahasya

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मूर्ति लहान (छोटी) -कीर्ति महान

‘क्या आप जिंदा मेंढक खा सकते हैं’ या ‘शेर के मुँह में हाथ डालने की डेयरिंग (साहस) कर सकतेे हैं?’ आपका जवाब क्या है? ऐसा करना मुश्किल है| यदि आपसे कहा जाए कि ‘क्या आप नारियल के पेड़ पर चढ़ सकते हैं?’ तो कुछ लोग ऐसा करने की हिम्मत कर सकते हैं| अब ज़रा ईमानदारी से मनन करके बताएँ कि क्या आप सदा खुश रहने की डेयरिंग कर सकते हैं? ज़रा सोच-समझकर जवाब दें क्योंकि यह कोई मामूली डेयरिंग नहीं है| हर हाल में सदा खुश रहना सबसे बड़ी डेयरिंग (साहस) हैै|

जरा सोचें, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है और वह किसने की होगी? जवाब है- सबसे बड़ा साहस संत ज्ञानेश्‍वर ने किया था, उन्होंने जीवित समाधि ली थी, जिसे संजीवनी समाधि कहा गया| वे पूरी जाग्रति के साथ ध्यान में बैठे और फिर उनका शरीर वापस नहीं उठा| वह ध्यान अखण्ड ध्यान बन गया, समाधि बन गया|

महासमाधि और महान कीर्ति का रहस्य जानने के लिए आइए, प्रवेश करें संत ज्ञानेश्‍वर की जीवनी में| साथ ही संत ज्ञानेश्‍वर के जीवन चरित्र से आठ सवालों के जवाब भी पाएँ|

१. जीवन को सही अर्थ हम क्यों और कैसे देंें?
२. सही समय पर, सही सवाल पूछना क्यों ज़रूरी है, ऐसा करने से क्या चमत्कार हो सकते हैं?
३. सफल जीवन की परिभाषा क्या है?
४. दुःख से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है?
५. इंसान को किस मूल समझ के साथ जीवन जीना चाहिए?
६. वारकरी यात्रा की सही समझ क्या है, सच्चे वारकरी कैसे बनें?
७. संत ज्ञानेश्‍वर की नज़र में कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग क्या है़?
८. संत ज्ञानेश्‍वर स्वयं को, गुरु को और पूरे संसार को जिस नज़र से देखते थे, हम वह नज़र कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

तो चलिए, संत ज्ञानदेव के साथ जीवन के इन मुख्य सवालों के जवाब खोजने का कार्य आरंभ करें|

Ratings and reviews

4.6
21 reviews
mahesh gunjal
December 12, 2019
Awesome
2 people found this review helpful
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Maniraj Singh
October 4, 2022
nice
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पार्थ महेता
March 20, 2020
Jay baba swami
3 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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