Vichar Sataye To Kya Kare

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दिलेर बनकर विचारों के साथ डील करने की कला सीखें

दुनिया में हर इंसान विचारों से परेशान है, जिसे विचारों के साथ डील करना आ गया, वह दिलेर बन गया। आप भी दिलेर बनें, इस पुस्तक में पढ़ें –


•-हर विचार पर यकीन क्यों न करें।
-जिस डील में दुःख आता है, वहाँ डील न करें।
-विचारों से डील करना आ गया तो कभी खुशी कभी गम नहीं बल्कि कभी खुशी, कभी ज़्यादा खुशी होगी।
-‘ज’ का चुनाव करते हैं तो जीवन की तरफ जाते हैं, ‘च’ का चुनाव करते हैं तो चक्रव्यूह में फँसते हैं।
•-जिस चीज़ का श्रेय आपको सामनेवाला नहीं देता, उसका फल आपको कुदरत की तरफ से मिलता है और कई गुना बढ़कर मिलता है।
-लोग और घटनाएँ आपको तब तक दुःखी नहीं कर सकतीं, जब तक आप दुःखी होना न चाहें।
•-मन बाहर बंदर, मन अंदर वंडर (वॉच वेट विथ वंडर)

विचारमानव, महामानव और टीनू की छोटी सी कहानी का आनंद उठाकर, उसके सीखे हुए सबक का लाभ आप स्वयं लें तथा अपने बच्चों को भी दें।

Ratings and reviews

3.9
33 reviews
dalavi dnyaneshwar
11 April 2020
very interesting but not fully book summery only half book
61 people found this review helpful
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Nanda barui
20 September 2020
wow ,,,bahut hi acha kitab hai kitab me hamare man ki andar jo kahi prakar ke bichar hotehay to hum ghabra jatehai is kitab me bahut hi sundar acha bichar leneke age bar sakte hai..
14 people found this review helpful
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Roshni Kumari
28 April 2020
feel much better.
46 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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