आपके पास एक ऐसा पेन है, जिससे लिखते समय यदि स्पेलिंग गलत हो जाए तो उसमें लाल बत्ती जलती है। बशर्ते लिखना शुरू करने से पहले आप उसमें लगे बटन को टच करें। टच करने मात्र से मार्गदर्शन मिलता है। आपको पेन की यह खूबी मालूम ही नहीं है। अतः आप ज़िंदगीभर पेन से लिखते रहे, स्पेलिंग मिस्टेक करते रहे और अंत तक आपको पता ही नहीं चला कि पेन में यह व्यवस्था थी। कैसी गलती हो गई!!
कहीं यही गलती आपसे तो नहीं हो रही!! जी हाँ, सारी ज़िंदगी आप शरीर का इस्तेमाल कर रहे हैं मगर पता ही नहीं कि शरीर में यह व्यवस्था है कि यदि आप सेल्फ को टच करें तो जीवन में कहाँ गलती हो रही है, मालूम पड़ जाता। बेमतलब कितने दुःख भोगे… कितनी चोटें सही… दर्द के कितने कड़वे घूँट पीए!! खैर, देर आए दुरुस्त आए…। यह पुस्तक मानव शरीर की इस विशेष व्यवस्था के राज़ खोलेगी। इसमें आप जानेंगे-
* आप कौन? श्रीकृष्ण कौन? ईश्वरीय साम्राज्य (सत्ता) की महानता क्या है?
* आपका शरीर कौन? आपका रूप, गुण, अभिव्यक्ति, भावनाएँ क्या हैं?
* विश्व रूप दर्शन का वास्तविक अर्थ क्या है?
* आंतरिक समाधि में कैसे प्रवेश किया जाए?
* ध्यान के बटन द्वारा सेल्फ को कैसे टच किया जाए?
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।