GITA SERIES – ADHYAY 16&17: DAIVA AUR ASUR KE PAAR SHRADDHA GITA (HINDI EDITION)

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अपनी श्रद्धा की ताकत कहाँ समर्पित करें

श्रद्धा हर इंसान के अंदर है और सबका कोई न कोई आदर्श होता है। चाहे वह कोई देवी-देवता हो, कोई राजनेता हो, कोई फिल्म स्टार हो या कोई संत महात्मा हो। वह अपने आदर्श का अनुसरण करने की कोशिश करता है। क्या करें… क्या न करें… का चुनाव वह अपने आदर्श को सामने रखकर करता है। आपकी श्रद्धा किसमें है? आपका भविष्य इस पर निर्भर करता है कि आपने जिसे अपनी श्रद्धा समर्पित की है, उसकी श्रद्धा किसमें है? आगे चलकर वही स्थिति आपकी होगी। प्रस्तुत पुस्तक में इसी बात पर मार्गदर्शन दिया गया है कि श्रद्धेय का चुनाव कैसे करें। इसमें आप जानेंगे-

* दैवी और असुरी गुण क्या हैं?

* असुरी गुणों की गति क्या होती है?

* शास्त्र अनुकूल कर्म कैसे पहचानें?

* श्रद्धा कितने प्रकार की होती है?

* पूजा, आहार, तप, दान और यज्ञ के पीछे क्या भावना होनी चाहिए?

* शरीर, वाणी और मन संबंधी तप क्या हैं?

तो चलिए, इस पुस्तक के माध्यम से योग्य आदर्श को पहचानें और अपने भीतर दैवी गुणों का संचार करके, सात्विक श्रद्धा जगाएँ।

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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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