Samarpan Ka Adbhut Rajmarg (Hindi): Purna Tyag Aur Arpan Shakti Ka Jadu

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सच्चे समर्पण का स्वाद कैसे पाएँ

क्या, तन-मन-धन सब है तेरा…

या यह सब समर्पित करनेवाला भी है तेरा…

तेरा तुझको अर्पण तो क्या लागे मेरा…

ऐसी पंक्तियाँ पढ़कर किसी में समर्पण का भाव जगता है तो कोई अलग सोचने को मज़बूर होता है या फिर किसी को डर आ जाता है। अगर डर महसूस होता है तो यह पुस्तक आपको समर्पण का असली अर्थ बताकर आपकी सारी शंकाओं को विलीन करने की शक्ति रखती है। इस पुस्तक में आप पढ़नेवाले हैं :

* तन-मन-धन के समर्पण का असली अर्थ क्या है?

* मजबूरी और स्वइच्छा से किए गए समर्पण में क्या अंतर है?

* ईश्वर या उच्च चेतना के प्रति पूर्ण समर्पण कैसे करें?

* समर्पण से सहज जीवन कैसे जीएँ?

* अपनी वृत्ति और विकारों के समर्पण से जीवन में प्रेम, आनंद, मौन कैसे लाएँ?

जिस तरह बिल्ली का बच्चा अपनी माँ के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाता है, फिर बिल्ली माँ उसे जहाँ चाहे वहाँ उठाकर ले जाए, उसी तरह हमें भी ईश्वर माँ के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखना चाहिए। यही भाव सच्चे समर्पण का स्वाद है।

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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।


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