हर सुबह ईश्वर से प्रार्थना करो; ताकि आपका पूरा दिन आराम से कटे तथा हर दिन ध्यान करो; ताकि आपके साथ रहनेवाले लोगों का दिन आराम से बीते। सच्ची शांति में ही पूर्ण आराम है। कुंभकरण का आराम आलस है; रावण का आराम युद्ध की तैयारी है; लेकिन राम का आराम समाधि है। सच्चा आराम भीतर का राम है; आपके अंदर प्रकट होनेवाला स्व-अनुभव है। जब हम खुली आँखों से आराम करना सीखकर स्व-अनुभव में स्थापित होते हैं; तब उसे आरामा अवतार-मौन की मंजिल कहते हैं। अपनी आँखें सदा खुली रखने के लिए कुछ देर आँखें बंद रखने की कला सीखें। हर रात लोग अपनी आँखें बंद करते हैं; लेकिन यह कला नहीं है। आँखें बंद करने की कला को ध्यान-सच्चा आराम कहते हैं। दूसरों की आँखें खोलने के चक्कर में लोग अंधे बन जाते हैं। अंदर की आँखें खुलने यानी ज्ञान के अंधे की दृष्टि लौटाने के लिए ध्यान की दीक्षा-स्वदर्शन जरूरी है। स्व का दर्शन करने; ध्यान में दीक्षित होने की इच्छा जगाने और ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए अपनी बाहरी आँखें कुछ समय बंद रखने की तैयारी रखें; ताकि पढ़ते-पढ़ते ध्यान लग जाए; कम-से-कम आपका। Dhyan : Kaise Aur Kyon Karen? by Tejparkhi, Sirshree: In this book, co-authored by Sirshree and Tejparkhi, the practice of meditation (Dhyan) is explored. It provides guidance on how and why one should engage in meditation for mental and spiritual well-being.
Key Aspects of the Book "Dhyan : Kaise Aur Kyon Karen?":
Meditation Guide: Offers practical advice and techniques for meditation practice.
Spiritual Insights: Explores the spiritual benefits and reasons behind incorporating meditation into one's life.
Collaborative Authorship: Combines the expertise of both authors to provide comprehensive insights into meditation.
Sirshree and Tejparkhi are the co-authors of this book. Their combined knowledge and experience contribute to the book's guidance on meditation.